Weather Forecast Update: इस वर्ष भारत में मानसून सामान्य रहने की आशा है, जिससे सभी क्षेत्रों में संतोषजनक वर्षा की संभावना है। स्काई मेट वेदर न्यूज द्वारा हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देशभर में बारिश सामान्य से तीन फीसदी अधिक हो सकती है। विशेषकर, जुलाई से सितंबर के बीच अच्छी बारिश की उम्मीद है। आइए, इस मानसून की स्थिति का गहराई से विश्लेषण करें और जानें कि किन राज्यों में सूखा जैसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।
मानसून की सामान्य स्थिति
स्काई मेट के विशेषज्ञ महेश पलावत के अनुसार, इस वर्ष का मानसून सामान्य रहने की संभावना है। यह अनुमानित किया जा रहा है कि भारत में एक जून से 30 सितंबर के बीच कुल 895 मिमी वर्षा होने की संभावना है। इस दौरान 40 फीसदी सामान्य, 30 फीसदी सामान्य से अधिक और 10 फीसदी बहुत अधिक वर्षा की उम्मीद की जा रही है। यह दर्शाता है कि लगभग 80 फीसदी संभावना है कि वर्षा सामान्य या इससे अधिक हो सकती है। इसके विपरीत, सामान्य से कम वर्षा की संभावना केवल 15 फीसदी और सूखा रहने की चिंता 5 फीसदी तक सीमित है।
महत्वपूर्ण महीनेवार पूर्वानुमान
जून में वर्षा सामान्य से कुछ कम रह सकती है, जबकि जुलाई, अगस्त और सितंबर में सामान्य से अधिक वर्षा की उम्मीद है। जून में 158.7 मिमी, जुलाई में 286.1 मिमी, अगस्त में 275.3 मिमी और सितंबर में 174.6 मिमी वर्षा संभावित है। विशेषकर मध्य और पश्चिमी भारत में जुलाई से सितंबर के बीच सामान्य से अधिक बारिश हो सकती है।
राज्यों में कम वर्षा की संभावना
हालांकि, कुछ राज्यों में वर्षा कम रहने की उम्मीद है। असम, अरुणाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर जैसे उत्तर-पूर्वी राज्य इस सूची में शामिल हैं, जहां सामान्य से कम वर्षा होने का पूर्वानुमान है। इसके विपरीत, बाकी राज्यों में वर्षा सामान्य रहने की संभावना है। खासकर जून में केरल, कर्नाटक, कोंकण और गोवा में अधिक वर्षा होने की उम्मीद है।
उत्तरी भारत की स्थिति
जून के अंत तक उत्तर भारत में मानसून के पहुंचने की उम्मीद है। यह क्षेत्र पश्चिमी और मध्य भारत के साथ-साथ अधिक वर्षा का अनुभव करने वाले राज्यों में होगा। जुलाई में, पश्चिमी भारत में बहुत भारी वर्षा का पूर्वानुमान है, जो किसानों के लिए राहत प्रदान करेगी।
अगस्त और सितंबर का प्रभाव
अगस्त में मध्य और पूर्वी राज्यों में सामान्य से अधिक वर्षा की उम्मीद है। इस दौरान उत्तर और दक्षिण भारत में भी सामान्य बारिश हो सकती है। सितंबर में विशेष रूप से पश्चिम और मध्य भारत में अधिक वर्षा की संभावना है। हालांकि, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों में सामान्य से कम वर्षा होने का अनुमान है।
मानसून का कृषि पर प्रभाव
मनसून की स्थिति का कृषि पर गहरा प्रभाव पड़ता है। सामान्य वर्षा किसानों को उनकी फसलें उगाने में मदद करती है, जबकि सूखा जैसी स्थिति फसलों को नष्ट कर सकती है। इस कारण, किसानों को उचित तैयारी और योजना बनाने की आवश्यकता है ताकि वे खराब मौसम का सामना कर सकें। सरकारों को भी सूखा प्रभावित राज्यों के लिए विशेष सहायता योजनाएं बनानी चाहिए और कृषि से संबंधित जानकारी एवं संसाधनों की पहुंच बढ़ानी चाहिए।
निष्कर्ष
इस वर्ष का मानसून सामान्य रहने की उम्मीद है, लेकिन कुछ राज्यों में सूखा जैसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। असम, अरुणाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में कम वर्षा होने की संभावना है, जबकि अन्य राज्यों में अच्छी बारिश होने की उम्मीद है। किसानों और स्थानीय प्रशासन के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे मौसम के पूर्वानुमान को ध्यान में रखते हुए उचित योजनाएं बनाएं। इसके साथ ही, यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि सभी क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को समझा जाए और आवश्यक कदम उठाए जाएं।
इस पूरे पूर्वानुमान के संबंध में आपकी क्या राय है? हमें अपनी टिप्पणियों के माध्यम से बताएं, ताकि हम इस विषय पर और अधिक चर्चा कर सकें!