Power Cut Summer 2025: हरियाणा के खेतों में गेहूं की फसल इस समय पूरी तरह से पक चुकी है और किसान कटाई के कार्य में जुटे हुए हैं। यह समय हर साल लाखों किसानों के लिए चिंता का विषय बन जाता है क्योंकि आगजनी की घटनाएँ फसलों को नष्ट कर सकती हैं। इस बार स्थिति को देखते हुए, दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम (DHBVN) और उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम (UHBVN) ने बिजली कट की व्यवस्था में महत्वपूर्ण बदलाव किया है।
बिजली आपूर्ति में बदलाव का उद्देश्य
बिजली विभाग ने निर्णय लिया है कि 3 अप्रैल 2025 से लेकर 30 अप्रैल 2025 तक, दिन के समय यानी सुबह 8 बजे से शाम 6:30 बजे तक और रात 12:30 बजे से तड़के 4:30 बजे तक ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति रोक दी जाएगी। इसका स्पष्ट उद्देश्य खेतों में खड़ी गेहूं की फसल को आग लगने से बचाना है। कृषि के इस संवेदनशील समय में, जब तापमान बढ़ता है, बिजली के तारों से उठने वाली चिंगारी आग का कारण बन सकती है।
समस्याओं के पीछे का कारण
हर साल मार्च और अप्रैल के महीनों में जब गेहूं की फसल तैयार होती है, तब अक्सर बिजली के तारों से निकलने वाली चिंगारी या ट्रांसफार्मर की खराबी के कारण आग लगने की घटनाएँ होती हैं। गर्मियों में बढ़ते तापमान के प्रभाव से यह चिंगारी हवा में फैल जाती है, जिसके परिणामस्वरूप किसान की महीनों की मेहनत चंद पलों में राख में तब्दील हो जाती है। इसलिए, बिजली कट की यह व्यवस्था किसानों के हित में एक सकारात्मक कदम मानी जा रही है।
किसानों की आवाज़ और पंचायतों का सहयोग
यह बदलाव किसान संगठनों और पंचायत प्रतिनिधियों की मांग पर हुआ है। उन्होंने बिजली निगम से अनुरोध किया था कि दिन के समय बिजली की आपूर्ति बंद कर दी जाए, ताकि आगजनी की घटनाएँ कम की जा सकें। अधिकारियों ने उनकी इस अपील पर गंभीरता दिखाई और एक ऐसा निर्णय लिया है जो किसानों की सुरक्षा को प्राथमिकता देता है।
नया बिजली कट शेड्यूल: सुविधाएँ और सीमाएँ
नए शेड्यूल के अनुसार, अब गांवों में कुल 16 घंटे तक बिजली की आपूर्ति बंद रहेगी। यह निर्णय सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों तक सीमित है, जिसमें सुबह 6:30 बजे से शाम 6:30 बजे तक और रात 12:30 बजे से सुबह 4:30 बजे तक बिजली बंद रहेगी। शहरों में, जहाँ खेती या फसल भंडारण की गतिविधियाँ नहीं होतीं, वहाँ पुरानी व्यवस्था जारी रहेगी। इस से शहरी उपभोक्ताओं को कोई परेशानी नहीं होगी।
किसानों को दी गई सलाह
बिजली निगम ने किसानों से अनुरोध किया है कि वे खेतों के पास बिजली के पोल या तारों के नीचे फसल का भंडारण ना करें। साथ ही, कटाई के समय सावधान रहने और आग बुझाने के प्राथमिक साधन पास रखने की सलाह दी गई है। इसके अलावा, फायर ब्रिगेड और ग्राम स्तर पर स्वयंसेवी दलों को भी आपात स्थिति में सक्रिय रहने के निर्देश दिए गए हैं। यह सभी उपाय आगजनी के खतरे को न्यूनतम करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
क्या यह कदम प्रभावी होगा?
बिजली कट शेड्यूल में बदलाव एक अच्छी सोच का परिणाम है, लेकिन यह तभी सफल होगा जब किसानों, प्रशासन और स्थानीय पंचायतों का सहयोग मिले। विशेष रूप से, अगर ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की चिंगारी से बचाव हो गया तो हजारों एकड़ फसल को बचाया जा सकता है।
निष्कर्ष: एक सुरक्षित भविष्य की ओर
इस बिजली कट शेड्यूल के माध्यम से, हरियाणा ने कृषि सुरक्षा को प्राथमिकता दी है। यह एक सकारात्मक निर्णय है, जो किसानों की मेहनत को बचाने में सहायक साबित हो सकता है। अगर सभी संबंधित पक्ष एक साथ मिलकर काम करें, तो इस योजना का उद्देश्य सफल हो सकता है। ऐसे में, सभी किसानों को इस व्यवस्था का पालन करते हुए अपने फसल की सुरक्षा के लिए सजग रहने की आवश्यकता है।